
मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप ने ली मासूम बच्चों की जान - कैसे रखें अपने गुर्दों को सुरक्षित
- Dr. Vikas Singh

- Oct 15
- 3 min read
अक्टूबर 2025 में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले सहित कई इलाकों में एक भयंकर हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। कुछ जहरीले कफ सिरप की वजह से कम उम्र के बहुत से बच्चों की जान चली गई। इन बच्चों के गुर्दे कफ सिरप में मिले जहरीले रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) से पूरी तरह खराब हो गए। यह एक ऐसा औद्योगिक रसायन है जिसका इंसानों की दवाओं में कोई स्थान नहीं है। जान बचाने के लिए जागरूकता बहुत ज़रूरी है, और इसी मकसद से यह लेख लिखा गया है, ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सके।
डाइएथिलीन ग्लाइकॉल: जानलेवा सफ़रडाइएथिलीन ग्लाइकॉल एक तरह का विषैला केमिकल होता है जो आमतौर पर कारों के एंटीफ्रीज या मशीनों में इस्तेमाल होता है। यह शरीर के लिए जहरीला है, खासकर बच्चों के लिए। यदि यह गलती से या जानबूझकर दवाई के रूप में इस्तेमाल हो जाए, तो यह गुर्दे की छोटी-छोटी नलिकाओं (renal tubules) को जहर देता है और वे काम करना बंद कर देती हैं। परिणामस्वरूप शरीर के विषैले पदार्थ छानने का काम बंद हो जाता है, जिससे पेशाब गिर जाता है और शरीर में जहरीले तत्व जमा होने लगते हैं। यह प्रक्रिया इतनी तेज़ होती है कि बच्चे कुछ ही घंटों में बहुत बीमार हो जाते हैं।
गुर्दे क्या करते हैं? गुर्दे हमारे शरीर के अहम अंग हैं जो रक्त को साफ करते हैं, पानी और नमकों का संतुलन बनाए रखते हैं और कूड़ा-कचरा पेशाब के माध्यम से बाहर निकालते हैं। जब गुर्दे सही से काम नहीं करते, तो शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे सूजन, थकान, सांस लेने में तकलीफ और दूसरे गंभीर लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे ज़हरीले पदार्थ गुर्दों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर उनकी कार्यक्षमता पूरी तरह खत्म कर देते हैं। बच्चों की किडनियां क्योंकि छोटी होती हैं, वे इस ज़हर के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।
यह त्रासदी मध्य प्रदेश के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?मध्य प्रदेश के गांवों और छोटे शहरों में बहुत से लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेते हैं। झटपट इलाज की चाह में या सस्ते दवाओं की वजह से लोग असुरक्षित स्रोतों से दवाएं खरीद लेते हैं। अब इस घटना ने साफ़ कर दिया है कि ऐसे क़दम किस तरह जानलेवा हो सकते हैं। प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से दोषी कंपनी के सिरप पर बैन लगा दिया है और स्वास्थ्य विभाग ने सख्त जांच शुरू कर दी है, लेकिन असली लड़ाई जागरूकता की है।बच्चों और परिवारों के लिए जरूरी सुझावपक्का मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदें। जहां जिन्दा लाइसेंस और पर्ची होती हो।बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी सिरप न दें। खासकर कफ सिरप।सिरप लेने के बाद उल्टी, lethargy (सुस्ती), पेशाब में कमी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल जाएं। पुरानी या बिना लेबल वाली दवा बच्चों से दूर रखें और सुरक्षित नष्ट करें।
गुर्दे से जुड़े कुछ सामान्य मिथक और उनकी सच्चाई मिथक
1: किडनी की बीमारी केवल बुजुर्गों को होती है।सच्चाई: नहीं, बच्चे भी बीमारी के शिकार हो सकते हैं, विशेष रूप से जहरीली दवाओं से।मिथक
2: किडनी खराब होने पर दर्द ज़रूर होता है।
सच्चाई: नहीं, गुर्दे का खराब होना लगभग हमेशा लंबे समय तक धीरे-धीरे होता है और शुरुआत में कोई दर्द या लक्षण नहीं दिखाई देते।मिथक
3: हर्बल या घरेलू उपाय पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं।सच्चाई: सभी हर्बल उत्पाद सुरक्षित नहीं होते। कई बार उनमें भी गुप्त विषैले पदार्थ रह सकते हैं।मिथक
4: ज्यादा पानी पीने से किडनी की सभी समस्याएं ठीक हो जाती हैं।
सच्चाई

: पानी जरूरी है लेकिन विषाक्त पदार्थों से हुई गुर्दे की चोट को सिर्फ पानी से ठीक नहीं किया जा सकता, डॉक्टर का इलाज अनिवार्य है।
गुर्दे की सुरक्षा कैसे करें? अपने परिवार के सभी सदस्यों को किडनी से जुड़े लक्षणों के प्रति सतर्क बनाएं।नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं, खासकर बच्चों की।संदेहास्पद या बिना लाइसेंस के उत्पादों से सावधान रहें। यदि बच्चे में पेशाब रुक जाना, शरीर में सूजन या वजन में अचानक कमी जैसे लक्षण हों तो चिकित्सक से तुरन्त संपर्क करें।आखिर मेंमध्य प्रदेश के हर नागरिक को अपने और अपने परिवार की गुर्दे की सुरक्षा करनी होगी। सस्ती या नकली दवाओं से बचकर, डॉक्टर की सलाह लेकर दवा लेकर और समय पर इलाज करवाकर हम इस तरह की दुखद घटनाओं को दोहराने से रोक सकते हैं।
बच्चों की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। इस लेख को अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और समाज के साथ जरूर साझा करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों।
भरोसेमंद मेडिकल स्रोत
WHO Medical Product Alert (2025)Schier J. et al., Diethylene Glycol Poisoning (2023)de Almeida Araújo S., Renal Toxicity (2023)Singh J. et al., Diethylene Glycol Poisoning (2001)CDC Medical Management Guidelines (2025)National Kidney Foundation, Kidney Disease Myths (2024)The Lancet, Herbal Supplements & Kidneys (2024)CDC Treatment Guidelines (2022)
स्वास्थ्य का ध्यान रखें, सुरक्षित रहें।
– डॉ. विकास सिंह,
यूरोलॉजिस्ट
इंदौर , मध्यप्रदेश









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